उठो मित्रों दिखा दो जोश अपने दिल के लहरों का ।
है मांग लोगों की तेरे ही जज्बों का एक क्रांति लाने का ।
जुड़ी है आश सदियों से आएगी सौम्यता एक दिन ।
तुझे हर हाल में हो कर नया इतिहास रचना है ।
ये रोड़े बीच में आ कर तुझे हर पल गिराएंगे ।
वो हर घोल में तुमको हमेशा घुलायेंगे ।
तुम्हें गिरना नहीं है पत्थरों की ठेस से मित्रों ।
तुम्हें हर घोल में मिलकर नया मिश्रण बनाना है ।
तेरे कर्तव्य के हर मार्ग पर कांटे पिरोये हैं ।
तेरे मंजिल की हर एक राह पर गड्ढे खुदायें हैं ।
चुभ जाये तो हर दर्द को यूं ही भुलाओ तुम ।
यूं ही सम्भल कर, एक नया कर्तव् दिखाओ तुम ।
ये जीवन मिला तुमको कर्तव्यनिष्ठ बनने को ।
किसी के आश और विश्वास का अभिमान रखने को ।
जीवन की गति और चाल से कुछ सिख लों मित्रों ।
ये उनकी आश को परिहास में तुम मत बदलने दो ।
ये उनकी आश को परिहास में तुम मत बदलने दो ।।
(रजनिश प्रियदर्शी )
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